सैट विंग (शिपिंग एविएशन टूरिज्म विंग) और ब्रह्माकुमारीज़ प्रस्तुत करती है “नमस्ते”, प्रोजेक्ट जो मेरी संस्कृति मेरी पहचान थीम के अंतरगत हैं।
तीन मूल भारतीय विचारधारायें
नमस्ते शब्द संस्कृत भाषा के नमः + असते से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है आपको प्रणाम अर्थात दृ के समक्ष नम होना एवं अपने अहंकार को झुककर समाप्त करना। दोनों हाथों को आपस में जोड़ कर, हुए हाथों को हृदय के समीप रखकर आंखे बंद करके सर झुका कर किये जाने वाले अभिवादन के इस को नमस्ते कहा जाता है साथ ही इस मुद्रा को अंजलि मुद्रा भी कहा जाता है।
यह एक योगासन है, इसके करने से मन में तनाव कम होता है एवं व्यक्ति स्वयं को सहज महसूस करने लगता है।
नमस्ते द्वारा अभिवादन केवल कल्चर नहीं बल्कि यह आपको संक्रमण से भी दूर रखता है इसलिए यह परम्परा बीमारियों को दूर रखने में बहुत ही कारगर है।
नमस्ते करने से निर्माणता का गुण स्वतः विकसित होने लगता है जिससे परस्पर रिश्ते अच्छे बनने लगते हैं एवं मित्रता ज्यादा गहरे बनते हैं। दूसरों को सम्मान देने से हमें भी दूसरों से सम्मान प्राप्त होता है अतः परस्पर स्नेह सम्मान के भाव बढ़ते हैं।
नमस्ते जीवन को सहज एवं सरल बनाता है क्योंकि नमस्ते से मन में क्षमाभाव में बढ़ोतरी होती है।
हाथ जोड़कर प्रार्थना, अराधना करने पर मन को शान्ति मिलती है अतः मन की शान्ति के लिये नमस्ते बहुत ही उपयोगी है।
नमस्ते करते समय जब उंगलिया एक दूसरे से मिलती है तो दबाव पडता है जिससे ज्ञानेन्द्रिया सक्रिय हो जाती हैं जो क्रोध को कम करती है।
नमस्ते करने से मन में कृतज्ञता और समर्पण की भावना जागृत होती है जो कि आध्यात्मिक उन्नती के लिए बहुत ही सहायक है।
हाथ जोड़ने से शरीर में रक्त का संचार बढ़ने लगता है।
करेंगे सभी को नमस्ते
अच्छे रहेंगे जीवन के रास्ते
हाथ जोड़कर करो नमस्कार,
यही भारतीयता के सच्चे संस्कार
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करो नमस्कार, तो होगा चमत्कार